A Review Of hindi story
A Review Of hindi story
Blog Article
चीन और फ़िलीपीन्स के जहाज़ टकराए, शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
ऐसा कभी नहीं हुआ था... धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर हरिशंकर परसाई
Graphic: Courtesy Amazon This is a critically acclaimed satirical Hindi novel published by Shrilal Shukla and published in 1968. This Hindi fiction ebook offers a scathing critique of your socio-political landscape of rural India. Established in the fictional city of Shivpalganj, the narrative unfolds through the eyes with the protagonist, Ranganath, a young male who returns to his ancestral village to Get well from an illness.
शेख़ हसीना के मामले में भारत के सामने क्या हैं विकल्प?
These best Hindi fiction books discover the intricacies of relationships, delve into societal nuances, and problem conventional thinking.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए क्लिक करें. आप हमें क्लिक करें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
मोरल – एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।
Graphic: Courtesy Amazon Published by Agyeya, the pen identify of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction guide was initially released in 1940. The novel is really a groundbreaking get the job done and is considered a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential figure in the Chhayavaad movement, provides to lifestyle the tumultuous journey with the protagonist, Shekhar, via a variety of phases of his life. The novel explores Shekhar’s evolution from the carefree and idealistic youth to your mature specific grappling While using the complexities of lifestyle.
मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।
मोरल – अभ्यास किसी भी कार्य की सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
ऐसी 'हिंदी', जो आज के अकादमिक, सांस्थानिक और राजकीय-राजनीतिक प्रयासों से अपठनीय बना दी गई है और जो साधारण हिंदी भाषियों के लिए दुरुह और अजनबी हो चुकी है.
सबसे here पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह
बुरे काम का बुरा ही नतीजा होता है बुरे कामों से बचना चाहिए।
एक महीने बीता पर कोकिला के कंठ से आवाज़ नहीं निकली। जगतगुरु इसका समाधान पूछने अपने राज्य के एक तपस्वी प्रशांत बाबा के पास गया। वहां प्रशांत बाबा ने उसे समझाया की शंगरीला की खुशहाली का राज़ कोकिला नहीं बल्कि ऋषिराज का दयालु और मेहनती स्वभाव है। प्रशांत बाबा ने जगतसुरु से अपने स्वार्थी स्वाभाव को छोड़ कर कोकिला को वापस लौटाने की सलाह दी। जगतगुरु ने प्रशांत बाबा की बात मानी और कोकिला को ऋषिराज को वापस लौटा दिया। कुछ दिन बाद डोंगरीला भी समृद्ध और खुशहाल राज्य बन गया।